Book Title: Samaysara Padyanuwad
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 90
________________ (८९) शुभ या अशुभ यह गंध तुम सूंघो मुझे यह ना कहे । यह आतमा भी घ्राणगत गंधों के पीछे ना भगे ॥३७७॥ शुभ या अशुभ यह सरस रस यह ना कहे कि हमें चख । यह आतमा भी जीभगत स्वादों के पीछे ना भगे ॥३७८॥ शुभ या अशुभ स्पर्श तुझसे ना कहें कि हमें छु । यह आतमा भी कायगत स्पर्शों के पीछे ना भगे ॥३७९॥ शुभ या अशुभ गुण ना कहे तुम हमें जानो आत्मन् । यह आतमा भी बुद्धिगत सुगुणों के पीछे ना भगे ॥३८०॥ शुभ या अशुभ द्रव्य ना कहे तुम हमें जानो आत्मन् । यह आतमा भी बुद्धिगत द्रव्यों के पीछे ना भगे ॥३८१॥

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