Book Title: Samaysara Padyanuwad
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 91
________________ (९०) यह जानकर भी मूढजन ना गहें उपशमभाव को । मंगलमती को ना ग्रहें पर के ग्रहण का मन करें ॥३८२॥ शुभ-अशुभ कर्म अनेकविध हैं जो किए गतकाल में । उनसे निवर्तन जो करे वह आतमा प्रतिक्रमण है ॥३८३॥ बंधेगे जिस भाव से शुभ-अशुभ कर्म भविष्य में । उससे निवर्तन जो करे वह जीव प्रत्याख्यान है ॥३८४॥ शुभ-अशुभ भाव अनेकविध हो रहे सम्प्रति काल में । इस दोष का ज्ञाता रहे वह जीव है आलोचना ॥३८५॥ जो करें नित प्रतिक्रमण एवं करें नित आलोचना । जो करें प्रत्याख्यान नित चारित्र हैं वे आतमा ॥३८६॥

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