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रूप ज्ञान नहीं है क्योंकि रूप कुछ जाने नहीं । बस इसलिए ही रूप अन्य रु ज्ञान अन्य श्रमण कहें ॥३९२॥ वर्ण ज्ञान नहीं है क्योंकि वर्ण कुछ जाने नहीं । बस इसलिए ही वर्ण अन्य रु ज्ञान अन्य श्रमण कहें ॥३९३।। गंध ज्ञान नहीं है क्योंकि गंध कुछ जाने नहीं । बस इसलिए ही गंध अन्य रु ज्ञान अन्य श्रमण कहें ॥३९४॥ रस नहीं है ज्ञान क्योंकि कुछ भी रस जाने नहीं । बस इसलिए ही अन्य रस अरु ज्ञान अन्य श्रमण कहें ॥३९५॥ स्पर्श ज्ञान नहीं है क्योंकि स्पर्श कुछ जाने नहीं । बस इसलिए स्पर्श अन्य रु ज्ञान अन्य श्रमण कहें ॥३९६।।