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'मैं सुखी करता दुखी करता' यही अध्यवसान सब । पुण्य एवं पाप के बंधक कहे हैं सूत्र में ॥२६०॥ 'मैं मारता मैं बचाता हूँ' यही अध्यवसान सब । पाप एवं पुण्य के बंधक कहे हैं सूत्र में ॥२६१।। मारो न मारो जीव को हो बंध अध्यवसान से । यह बंध का संक्षेप है तुम जान लो परमार्थ से ॥२६२॥ इस ही तरह चोरी असत्य कुशील एवं ग्रंथ में । जो हुए अध्यवसान हों वे पाप का बंधन करें ॥२६३॥ इस ही तरह अचौर्य सत्य सुशील और अग्रन्थ में । जो हुए अध्यवसान हों वे पुण्य का बंधन करें ॥२६४॥