Book Title: Samaysara Padyanuwad
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 70
________________ (६९) द्रवभाव से अत्याग अप्रतिक्रमण होवें जबतलक । तबतलक यह आतमा कर्ता रहे यह जानना ॥ २८५ ॥ - अधः कर्मक आदि जो पुद्गल दरब के दोष हैं । परद्रव्य के गुणरूप उनको ज्ञानिजन कैसे करें ? ॥२८६ ॥ उद्देशिक अधः कर्म जो पुद्गल दरबमय अचेतन । कहे जाते वे सदा मेरे किये किस भाँति हों ? ॥ २८७ ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98