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मैं हूँ बचाता अन्य को मुझको बचावे अन्यजन । यह मान्यता अज्ञान है जिनवर कहें हे भव्यजन ! ॥ २५० ॥
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सब आयु से जीवित रहें यह बात जिनवर ने कही । जीवित रखोगे किसतरह जब आयु दे सकते नहीं ? ॥२५१ ॥ सब आयु से जीवित रहें यह बात जिनवर ने कही कैसे बचावें वे तुझे जब आयु दे सकते नहीं ? मैं सुखी करता दुःखी करता हूँ जगत में अन्य को यह मान्यता अज्ञान है क्यों ज्ञानियों को मान्य हो ? ॥ २५३ ॥
॥२५२॥
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हैं सुखी होते दुखी होते कर्म से सब जीव जब तू कर्म दे सकता न जब सुख-दुःख दे किस भाँति तब ॥ २५४ ॥