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संवर अधिकार उपयोग में उपयोग है क्रोधादि में उपयोग ना । बस क्रोध में है क्रोध पर उपयोग में है क्रोध ना ॥१८१।। अष्टविध द्रवकर्म में नोकर्म में उपयोग ना । इस ही तरह उपयोग में भी कर्म ना नोकर्म ना ॥१८२।। विपरीतता से रहित इस विधि जीव को जब ज्ञान हो । उपयोग के अतिरिक्त कुछ भी ना करे तब आतमा ॥१८३।।