Book Title: Samaysara Padyanuwad
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 54
________________ (५३) आतमा ही आतमा का परीग्रह यह जानकर । 'पर द्रव्य मेरा है' बताओ कौन बुध ऐसा कहे ? ॥२०७॥ 1 यदि परीग्रह मेरा बने तो मैं अजीव बनूँ अरे । पर मैं तो ज्ञायकभाव हूँ इसलिए पर मेरे नहीं ॥२०८॥ । छिद जाय या ले जाय कोइ अथवा प्रलय को प्राप्त हो जावे चला चाहे जहाँ पर परीग्रह मेरा नहीं ॥ २०९ ॥ । है अनिच्छुक अपरिग्रही ज्ञानी न चाहे धर्म को है परीग्रह ना धर्म का वह धर्म का ज्ञायक रहे || २१०|| । है अनिच्छुक अपरिग्रही ज्ञानी न चाहे अधर्म को है परिग्रह न अधर्म का वह अधर्म का ज्ञायक रहे || २११ ॥

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