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कर्ताकर्म अधिकार
आतमा अर आस्रवों में भेद जब जाने नहीं । हैं अज्ञ तबतक जीव सब क्रोधादि में वर्तन करें ॥ ६९ ॥ क्रोधादि में वर्तन करें तब कर्म का संचय करें ।। हो कर्मबंधन इसतरह इस जीव को जिनवर कहें ॥ ७० ॥ आतमा अर आस्त्रवों में भेद जाने जीव जब ।। जिनदेव ने ऐसा कहा कि नहीं होवे बंध तब ॥ ७१ ॥