Book Title: Samaysara Padyanuwad
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 26
________________ (२५) परद्रव्य की पर्याय में उपजे ग्रहे ना परिणमें । बहुभाँति निज परिणाम सब ज्ञानी पुरुष जाना करें ॥ ७७ ॥ परद्रव्य की पर्याय में उपजे ग्रहे ना परिणमें । पुद्गल करम का नंतफल ज्ञानी पुरुष जाना करें ॥ ७८ ॥ परद्रव्य की पर्याय में उपजे ग्रहे ना परिणमें । इस ही तरह पुद्गल दरव निजभाव से ही परिणमें ॥ ७९ ॥ जीव के परिणाम से जड़कर्म पुद्गल परिणमें । पुद्गल करम के निमित से यह आतमा भी परिणमें ॥ ८० ॥ आतम करे ना कर्मगुण ना कर्म आतमगुण करे । पर परस्पर परिणमन में दोनों परस्पर निमित हैं ॥ ८१ ।।

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