Book Title: Samaysara Padyanuwad
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 39
________________ (३८) । अबद्ध है या बद्ध है जिय यह सभी नयपक्ष हैं । नयपक्ष से अतिक्रान्त जो वह ही समय का सार है ॥ १४२ ॥ दोनों नयों को जानते पर ना ग्रहे नयपक्ष जो नयपक्ष से परिहीन पर निज समय से प्रतिबद्ध वे विरहित सभी नयपक्ष से जो सो समय का सार है है वही सम्यग्ज्ञान एवं वही समकित सार है ॥ १४३॥ । ॥१४४॥

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