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ग्रहे बाँधे परिणमावे करे या पैदा करे । पुद्गल दरव को आतमा व्यवहारनय का कथन है ॥१०७॥ गुण-दोष उत्पादक कहा ज्यों भूप को व्यवहार से । त्यों जीव पुद्गल द्रव्य का कर्ता कहा व्यवहार से ॥१०८॥ मिथ्यात्व अरु अविरमण योग कषाय के परिणाम हैं । सामान्य से ये चार प्रत्यय कर्म के कर्ता कहे ॥१०९।। मिथ्यात्व आदि सयोगि-जिन तक जो कहे गुणथान हैं । बस ये त्रयोदश भेद प्रत्यय के कहे जिनसूत्र में ॥११०॥ पुद्गल करम के उदय से उत्पन्न ये सब अचेतन । करम के कर्ता हैं ये बेदक नहीं है आतमा ॥१११।।