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(१८)
ये भाव सब पुद्गल दरव परिणाम से निष्पन्न हैं । यह कहा है जिनदेव ने 'ये जीव हैं' - कैसे कहें ? ॥ ४४ ॥ अष्टविध सब कर्म पुद्गलमय कहे जिनदेव ने । सब कर्म का परिणाम दुःखमय यह कहा जिनदेव ने ॥ ४५ ॥ ये भाव सब हैं जीव के जो यह कहा जिनदेव ने । व्यवहारनय का पक्ष यह प्रस्तुत किया जिनदेव ने ॥ ४६ ॥ सेना सहित नरपती निकले नृप चला ज्यों जन कहें ।। यह कथन है व्यवहार का पर नृपति उनमें एक है ॥ ४७ ॥ बस उसतरह ही सूत्र में व्यवहार से इन सभी को । जीव कहते किन्तु इनमें जीव तो बस एक है ॥ ४८ ॥