Book Title: Ratisarakumar Charitra Author(s): Kashinath Jain Publisher: Kashinath Jain View full book textPage 8
________________ अनु० नं०६१३२ | हिं० उ.१९३ Rec.GIR - ADDA रतिसार-कुमार पहला-अध्याय BASIN हुत दिनोंकी बात है। कितने दिनोंकी बात है, उसे ब इस समय हिसाब लगाकर बतलाना सहज नहीं है। OG बस, इतना ही समझ लीजिये, कि इतने प्राचीन समयकी बात है, कि इतिहास उसका निश्चित वर्ष-सम्बत् बतलानेमें असमर्थ है। उन्हीं दिनों भारतवर्षके नगरोंमें प्रसिद्ध, धन, धान्य और समृद्धिसे पूर्ण, माहिष्मती नामकी एक नगरी थी। उसमें सुभूम नामके एक परम न्यायी, तेजस्वी और प्रजा वत्सल राजा राज्य करते थे। उनके बल, वीर्य और पराक्रमसे वैरी थर-थर काँपते रहते थे। चारों ओर उनकी कीर्ति-चन्द्रिका . फैली हुई थी। देश-देशके राजा-महाराज उनकी आज्ञा मानते हुए P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TrustPage Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 91