________________ रतिसार कुमार। वाले चंचल लड़कोंमें भी लड़ाई-दंगा और मार-पीट नहीं होती थी। सभी युवतियाँ एक दूसरीसे स्नेह रखती-कोई कभी किसीसे झगड़ा नहीं करती थी। पशु भी अपना सींग चलाना भूल गये / भोगके स्थान-रूपी शरीरमें व्याधियोंकी भी वृद्धि नहीं होने पाती थी। मतवाले भूत-पिशाच भी कभी किसीको कष्ट नहीं देते थे। अग्नि भी चूल्हे और ईधनके भीतर मर्यादा बांधकर रहने लगी। पथिकोंकी थकावट दूर करनेवाली शीतल-मन्द-सुगन्ध वायु सदा प्रवाहित होती रहती थी। सरोवरोंसे भोकृषिका काम बड़े मज़ेसे लिया जाने लगा। मेघ सदा समयपर.ही वर्षा करने लगे। पृथ्वी ऐसी रसवती हो गयी, कि एक बार सिंचन करनेसे ही दूनी फ़सल देदेती थी। सूर्य भी उस राज्यपर उतनी ही किरण . फैलाता था, जितनीले अन्धकारका नाश होना सम्भव था। इक प्रकार पुण्यात्मा राजा रतिसारके प्रभावसे उस देशके रहनेवाले हर प्रकारसे सुखी हो गये और अन्यान्य राजा लोग भी उन्हींका अनुकरणकर अपने देशका शासन और पालन करने लगे। माहिष्मतीके राजा, राजा रतिसारके पिता, सुभूमने अपने पुत्रके इस वैभव और प्रतापका हाल सुन, उन्हें अपने यहाँ बुलवा लिया और उन्होंको राज्य सौंप, आप परलोककी चिन्तामें लग गये। इस प्रकार जिस-जिस देशमें चन्द्रके समान राजा रतिसारका शासन फैला, उस-उस देशका अन्धकार नष्ट होने लगा। क्रमसे सारी पृथ्वीपर उनका राज्य फैल गया और सब लोग धर्म-कर्ममें तत्पर हो गये। इस प्रकार बहुत दिनों तक राज्य P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust