Book Title: Ratisarakumar Charitra
Author(s): Kashinath Jain
Publisher: Kashinath Jain

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Page 89
________________ वाइये / बड़ी खूबी यह की गई है, कि प्रत्येक कथापर एक-एक हाफटोन चित्र दिया गया है, जिनके अवलोकन मात्रसे मूलका आशय चित्तपर अंकित हो जाता है। अध्यात्म अनुभव योग प्रकाश इस पुस्तकमें योग सम्बन्धी सर्व विषयोंकी व्यक्तता की गई है, योगके विषयको समझानेवाली, ऐसी सरल पुस्तक कहीं नहीं प्रकाशित हुई / इस ग्रन्थ-रत्नके कर्ता एक प्रखर विद्वान जैनाचार्य हैं, जिन्होंने निष्पक्षपात गृष्टिसे प्रत्येक विषयोंको खूब अच्छी तरह खोल-खोल कर समझा दिया है / मूल्य अजिल्द // ) सजिल्द 4 // ) सती चन्दनबाला इस पुस्तकमें सुश्राविका सती-शिरोमणी चन्दबाला का चरित्र बड़ीही मनोहर भाषा में लिखा गया है, चन्दनबाला को सतीत्व की रक्षा करने के लिये जो-जो विपत्तिय सहनी पड़ी हैं और सतीत्व के प्रभाव से उसके जीवन में जो-जो घटनायें हो गई है, सो इस पुस्तक में खूब अच्छी तरह खोल कर समझाई गई हैं, जैनी व अजैनी सब को यह पुस्तक देखनी चाहिये / इस जीतनीको प्रत्येक कुल लक्ष्मियों को पढ़ना चाहिये / पुस्तक की छपाई सफाई बड़ी ही नयनाभिराम है। स्थान स्थानपर नयनानन्दकर उत्तमोत्तम छ चित्र दिये गये हैं, जिनसे सारी पुस्तक खिल उठी है। जैनसंप्रदाय में यह एक नवीन शैली निकाली गई है। मूल्य // 3) आने / डाक खर्च अलग। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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