Book Title: Ratisarakumar Charitra
Author(s): Kashinath Jain
Publisher: Kashinath Jain

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Page 24
________________ रतिसार कुमार सजनको उन्होंने समय पर सहायता पहुंचायी, यह सोचकर उनके चित्तमें विमल आनन्दकी लहरें उमड़ने लगी और वे सारा दिन अपने मित्रों तथा सहचरोंके साथ इसी विषयकी चर्चा करते रहे / उस श्लोक और उसके बचनेवालेको वे घड़ी-भरको भी न भूले। ___सच है, उदार पुरुष स्वयं भी आत्मानन्द प्राप्त करते हैं और अपनी उदारतासे दोन-दुःखियोंको भी आनन्दित करते हैं। MENTS RSS P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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