________________ तीसरा परिच्छेद विवाह tw ध र अनङ्ग-देवके अनुल्लंघनीय शासनके अधीन बनेहुए कुमार, दुर्निवार मोहमें पड़े हुए बड़ी देर तक वहीं dha बैठे रह गये। इसके बाद यह सोचकर, कि यह सुन्दर पुरुष कामदेवका कोई बड़ा भारी भक्त है, उस मन्दिरकी पुजारिन उन्हें प्रसादके लड्डु, आदि दे गयी। कुमारने भी चार दिनोंके भूखे होनेके कारण उन्हीं लड्डुओंले अपनी भूख बुझायी और कामदेवके प्रसादके बचे हुए ताम्बूल, पुष्प और चन्दनके विलेपनको धारण कर वे साक्षात् कामदेवकी भाँति शोभित होने लगेगा / 4. क्रमशः सूर्य अस्ताचलको चले गये, रात्रिका अन्धकार बढ़ने लगा। चारों ओर घोर अन्धेरा छा गया। इसके बाद जब सारे नगरके लोग निद्राकी गोदमें विश्राम करने लगे, तब आधीरातके समय वे तीनों सखियाँ चुपचाप-अपने गहनोंका भी शब्द न होने देते हुए-विवाहकी समस्त सामग्रियाँ साथ लिये हुई P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust