________________ चौथा परिच्छेद 50000 3 . C पूर्व-भव మంది Rec98 क दिन तीसरे पहर जब राजा, कुमारके साथ बैठे - हुए, उनसे प्रीतिके साथ वार्तालाप कर रहे थे, 05 उसी समयमालीने आकर बड़ी विनयके साथ कहा,"महाराज! आज धर्मके प्रचारक एक चारण-मुनि आकाशसे उतर कर आपके बागीचेमें कायोत्सर्ग किये हुए टिके हैं।" ___यह समाचार सुन, राजाने मालोको खूब इनाम दिया और बड़ी उत्कण्ठाके साथ कुमारको संग लिये हुए मुनिकी वन्दना करने चले। उद्यानमें पहुँच कर राजा और कुमारने मुनिकी वन्दना की और चुपचाप एक ओर बैठ गये। तीनों ज्ञानके धारण करने वाले मुनीश्वरने प्रणाम करने वाले राजा और कुमारको भव्य जीव जान, कायोत्सर्गकी क्रिया त्याग दी और संसार रूपी वनके दावानलसे जलते हुए जीवोंको शान्ति देने वाली तथा मुक्ति-मगरका द्वार खोलने वाली सुधा-समान देशना देनी भारम्भ की। , .. .. . P.P.AC.Gunratnasuri M.S. - Jun Gun Aaradhak Trust