Book Title: Ratisarakumar Charitra
Author(s): Kashinath Jain
Publisher: Kashinath Jain

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Page 43
________________ 34 रतिसार कुमार वह भी वहाँ आ पहुँचा और विवाहके आनन्द में वृद्धि करने लगा। विवाहोत्सवकी समाप्तिके बाद सुबन्धुने राजासे कहा,-"महाराज! इस समय मेरे पास जो कुछ धन-दौलत है, वह सब इन्हीं कुमार साहबकी कृपासे प्राप्त हुई है।" यह सुन राजाको बड़ा ही आनन्द हुआ। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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