Book Title: Ratisarakumar Charitra
Author(s): Kashinath Jain
Publisher: Kashinath Jain

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Page 37
________________ तीसरा परिच्छेद 26 आदमीने आगे बढ़कर कहा,-"महाराज! आज कामदेवके मन्दिर में एक ऐसा नवयुवक सोया हुआ दिखाई दिया है,जो बड़ा ही सुन्दर है और जिसके शरीरपर हालही में विवाह होनेके चिह्न दिखाई पड़े हैं। यह सुनतेही क्रोधाकुल राजाने कोतवालको बुलाकर हुक्म दिया,-"कोतवाल ! तुमअभी जाकर उस आदमी. को पकड़कर यहाँ ले आओ।" राजाकी आज्ञा पाकर कोतवाल तुरत वहाँ पहुँचा और उस तेजस्वी तथा बलवान् कुमारको देख, डरा हुआ लौट आकर राजासे बोला,-"महाराज! वह तो कोई बड़ाही खानदानी आदमी मालूम पड़ता है। उसकी बड़ी-बड़ी आँखें मानों जगत्को तृणवत् देख रही हैं। उसके शरीरकी चमक सूर्यकीसी मालूम पड़ती है। उसका रूप ऐसा सुन्दर है, कि देवता भी उसको देखकर मुग्ध हो जायेंगे और देवियाँ भी उसकी दासी होनेकी इच्छा करेंगी। वह ऐसा अपूर्व सुन्दर पुरुष है, उसकी दृष्टिमें ऐसी मोहकता भरी है, उसकी चाल-ढल ऐसी मनोहर है, कि इन्द्र भी उसका आदर करेंगे, ऐसा मालूम पड़ता है। यह सब देखकर मेरी तो यही धारणा हुई है, कि वह कोई सामान्य पुरुष . नहीं है। वह अकेला है और मेरे पास बहुतसे वीर सिपाही हैं, तोभी जैसे तृणोंका समूह एक छोटी सीआगकी चिनगारीको नहीं पकड़ सकता, वैसेही मैं भी उसे पकड़कर नहीं ला सकता।" .. ही कोतवालकी यह बात सुन, अभिमानी राजाने उस आगन्तुक कुमारको पकड़नेके लियेबड़ी भारी सेनाकेसाथ सेनापतिको उसी P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. * Jun Gun Aaradhak Trust

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