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आर्याना भेद
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मात्रा मेळ
(३) अन्त ( जघन) विपुलार्या
अन्तt दलना त्रीजा, गणनो शब्दज जहां पूँरो करशे; त्यां यति कवि अन्त विपुला, आर्यामां खचित धरशे. ७५
अन्त एटले बीजा दलमां "विपुला" शब्दे श्रीजा गणनी बार मात्रा 'पु' आगळ पूरी थतां ला अक्षर चोथा गणनो छतां विपुला ए शब्द पूरो थवामां त्रीजा गणने विपुल करवामां एटले विस्तारवामां खपी जाय अने विपुला शब्दने छेडे यति आवे छे. ५८ (४) उभय विपुलार्या.
उभय दलोतणा त्रीजा, गणना शब्द ज्यां पूरा मानो; ते उभय विपुला आर्या, छे एमज तमे जाणो.
७६ उभय एटले पेहेला तथा बीजा दलमां त्रीजा गण उपरांत यति विलायछे एटले विस्ताराय छे, जेमके, पेहेला दलमां त्रीजा शब्दना श्री आगळ बार मात्रा पूरी थतां त्यां यति जोइये तेने बदले जा भळती, त्रीजा ए शब्द चोथा गणनी वे मात्रा लइने पूरो थायछे अने त्यां यति विपुल थाय छे तेमज बीजा दलमां आर्या एशब्दनी छेवटे यति विस्तार पामेछे.
५९ (५) मुखचपला पथ्यार्या.
पूर्वार्द्धमाह आवे, सदाय चपलातणा नियम ज्यारे; मुखचपला पथ्यार्थी, बारे पथ्याविरति धारे.
६० (६) मुखचपला आदिविपुला आर्या. मुखमा जणाय चपलातणाज, नियमो सदा समाया छे; यति विपुला आदिनो, मुखत्रपलादिविपुलार्या के.
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