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वर्णदंडक.
वर्णमळ.
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पेहेला नियमनो अपवाद. __ जो आरंभमां अथवा चार, आठ, इत्यादि वर्णोनी पछी एवो शब्द आवे के जे चार अक्षरनो पूरो एक शब्द होय तो जगण, तगण, मगण तथा यगण आरंभमां अथवा चार वगैरे वर्णो पछी आववा विषे आगळ जे पेहेला नियममां कहीं गया छिये तेनो बाध आवतो नथी; पण जो ते चार अक्षरना शब्दनो अन्त्याक्षर गुरु होय तो गति मध्यम थइ जायछे. चार वर्णमां जगणादि शब्द निर्दोषY उदाहरण.
"छपाकर छत्रे मोती झालरन छत्र 'मानो.". एमां आरंभे "छपाकर" शब्द जगणादि छे, तथापि चार अक्षरनो पूरो शब्द होतां ते निर्दोष छे.
चार वर्णना तगणादि शब्द निर्दोषY उदाहरण. __ "चामीकर देखिकै लजात रूप रावरों है."
एमां आरंभमां "चामीकर" शब्द तगणादि छे, तोपण ते. चार वर्णनो एक पूरो शब्द होवाथी निर्दोष छे. चार वर्णना यगणादि शब्द मध्यम नहि. उदाहरण.
"निराधार प्राण, बिन प्रीतम रहेंगे किमि." एमां आरंभमां "निराधार" शब्द यगणादि छे, परंतु ते चार वर्णनो एक पूर्ण शब्द होवाथीं मध्यम नथी... चार वर्णनो मगणादि शब्द मध्यम नहि. उदाहरण.
"पारावार पूरन अपार पार ब्रह्म रासि"-इ. एमां आरंभ मां "पारावार" शब्द मगणादि छे, परंतु चार वर्णनो एक पूर्ण शब्द होवाथी मध्यम नथी...: ..
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