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वर्णदंडक.
वर्णमेळ.
४४३
नियम पेहेलो. कवितना.चरणनी आदिमां तथा ४,८,१२,१६,२०,२४ अने २८ एम चच्चार चडता वर्ण पछी कोइ शब्दनो आरंभ थाय तो तेना आदिमां जमण (ISI) के त गण (ss) न आववो जोइए; वळी एवा शब्दना आरंभमां यगण (Iss) के म गण (sss) आववाथी पण मध्यम श्रेणीनी गति थइ जायछे.
पण तेमां एक वात लक्षमा राखवानी छे के, त्रण वर्णथी ओछा वर्णना शब्दने आ नियम लागु पडतो नथी. केमके त्रण वर्गयो ओछा वर्णनो गग बनी शकतो नथी; जेमके "न होयं" एम आदिमां रचना आवे, तेमां आदि शब्द "न" त्रण अक्षरनो गण बनेछे ते करता ओछी संख्यानो छे, ते साथे "होय" शब्द जोडायाथी जगण बनेछ; अने आदिमां जगण आणवानो निषेध कस्यो छे; तोपण ते "न होय" एवी रचनाने लागु . पडतो नथी. पण---
“निकुंज विलोकी वर वृंदावन काननके,
लाजे बन नंदन यों शोभा सरसति है." आ उदाहरणमां “निकुंज” शब्द त्रण अक्षरनो परिपूर्ण छ. अने तेनो जगण बनेछे, तेथी सरळताथी बोलवामां उच्चार करी शकातो नथी, तो उक्त नियमथी विरुद्ध छे. चार अक्षर पछी पण जगणादि शब्दनो निषेध छे.जेमके
"दूरहीसों कलींद सुता रंध्रन बीचिनिसों,
भीनी श्याम रंगमें सुखद दरसति है." एमां चार अक्षरो पछी “कलींद" शब्द जगणादिवाळो होला गति बगडेछे.
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