Book Title: Ranpingal  Part 01
Author(s): Ranchodbhai Udayram
Publisher: Kutchh Darbari Mudrayantra

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Page 712
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुष्टुप् वक्त्रादि भेद. वर्णमेळ. AAAAAAAAAL १ चार अक्षर पछी पथ्यावक्त्रमा सम चरणमां ज आव. छे. युग्मविपुलामां सम चरणमा सातमो अक्षर लघु लाववो, एम जो नियम करिये तो चार अक्षर पछी जगण मूकतां पण सातमो अक्षर लघु आवी जायछे, तेथी ए रूप पथ्यावा साथे मळी जायछे, माटे तेथी भिन्न रूप पाडवा सारु मात्र सम चरणने बदले चारे पदमा सातमो लघु आणवो ए नियम स्वीकारवो ठीक छे तेथी अमे तेनुं ग्रहण कस्युं छे. ____२ विपुलामां युग्म (२-४) पदमां सातमो अक्षर लघु आवेछे, माटे केटलाक, विपुलाने बदले युग्मविपुला नाम आपेछे. मंदारमरंदचम्पूमां आने युग्मविपुला कहेल छे. विपुलानी रूपसंख्या काहाडवानी रीति आ प्रमाणे छे: एनां मात्र सम चरणमांज सातमो अक्षर लघु आणवो, एम स्वीकारिये तो वक्त्रनां रूप प्रमाणे आनुं पण माप पेहेला त्रीजा पदमां वक्त्र प्रमाणे होतां, प्रथम चरणनां २४ रूप थाय; अने सम चरणना प्रथम स्थाननां २ रूप, त्यारपछी ६ गणनां ६ रूप, त्यारपछी अंत लघुवाळां (भ, न, त, ज,) चार रूपने उपर कहेला छेल्ला स्थाननां २ रूपे गुणतां एकंदर (२४६४४४२)=९६ रूप थायछे. एटले पूर्वार्द्धनां २४x ९६२,३०४ रूपं थयां, तेटलांन रूप उत्तरार्द्धनां गणतां २३०४४२३०४=१३,०८,४१६ रूप थयां. परंतु आपणे चारे चरणमा सातमो.अक्षर लघु आणवा स्वीकास्यो छे, ते हिसावे प्रत्येक चरणनां ९६ रूप थायछे एटले तेनो चतुर्घात करतां (९६४९६-९२१६४९२१६)=८,४९,३४,६५६ रूप थायछे. For Private And Personal Use Only

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