Book Title: Ranpingal  Part 01
Author(s): Ranchodbhai Udayram
Publisher: Kutchh Darbari Mudrayantra

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Page 717
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ५३६ www.kobatirth.org रणमिळ. ५ ओवी. १. आठ अक्षर २. आठ अक्षर ३.. आठ अक्षर ४. सात अक्षर Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नथी वर्णनुं प्रमाण, ओवीकेरा रागमां. ओछा वत्ता अक्षर पण भइ जायछे. त्र वर्ण आठ आण, चोथे पदे सात जाण; ना प्रास मळे. दक्षिणा ६ घनाक्षरी कवित. चार ओवीनो एक छंद थायछे. ८,८,८,७=३१ अक्षरनां चार चरण. घणुं करने आठ आठ अक्षरनी बार बार मात्रा थवी जोइये.. सात अक्षरनी ११ मात्रा घणुं करीने थवी जाइये एको प्रायः नियम छे. आठ अक्षरब्रा त्रमे वतिना प्रास मळे अने सात अक्षरवाळी छेली झडना वारे प्रास मळे. पृष्ट ४५४ अंक १४८७ मे कवित- मनहरण साथै आसना वधारी सिवाय आनुं मळतापणुं छे. एकत्रिश वर्ण आवे, यति तेमां युग लावे, प्रतिपदे एक भावे, ओवी रच आदरे; • आठ वर्णो त्रण वार, एक पछी एक धारकर्ण सात वळी सार पाद- वणा पादरे, For Private And Personal Use Only

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