Book Title: Ranpingal Part 01
Author(s): Ranchodbhai Udayram
Publisher: Kutchh Darbari Mudrayantra
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(श्री खंगार वृत्त.)
. (पृष्ट ५२५.) नृप खेंगारजी शरणे रहीने, रणशूर उदयरामे, धिरजे झाझे यत्ने करीने, कविने सुखकर कामे प्रतिनिधि पद पण नियमे चलवी, कार्ये तनमन दीधु, त्यार पछीथी अवकाशे आ, निज रणपिंगळ कीg.
(रणोदय वृत्त.)
(पृष्ट ४९२.) छे पंचावन संवत सारो, रह्यो ओगणीसें व्यापी; अढार ने अठाणु सनमां, भुजयंत्रे रचना छापी; बीजा आश्विननी पुनमे आ, थयो भाग पे'लो आखो, प्रभु सदा अभ्यासीजनने, जगमांहे सुखिया राखो.
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