Book Title: Ranpingal  Part 01
Author(s): Ranchodbhai Udayram
Publisher: Kutchh Darbari Mudrayantra

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Page 715
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ५३४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रणपिंगळ. अन्यदेशीय. दक्षिणना छंद. अभंग मुख्यत्वे वे प्रकारना छे. एक म्होटो अने बीजो न्हानो. १ म्होटो अभंग. दक्षिणना चंद. १,२,३ पादमां छ छ अक्षर. ४ पादमां चार अक्षर. महोटा अभंगना वे प्रकार छे:पेहेला प्रकारमां वीजी अने त्रीजी झडना प्रास मळे. -- ' पड अक्षर छे, पेले बीजे श्रीजे; चोथे चार कीने, अभंगमां. बीजा प्रकारमां त्रणे झडना प्रास मळे. अक्षर छ त्रणे, चोथे चार गणे; त्रणे प्रास भणे, अभंगमां. २ न्हानो अभंग. एनां बे चरण थाय छे. प्रति पदमां आठ अक्षर क्वचित् छ अक्षर पण प्रथम पदमां आवेछे बन्ने पदना अनुप्रास मळे छे. न्हाना अभंगनो पेहेलो प्रकार. वर्ण आठ आठ करो, एवां चरण वे धरो, क्वचित छ पे'ले थाय, एम अभंग रचाय. न्हाना अभंगनो बीजो प्रकार. . बेहेला चरणमां आठ अक्षर, बीजा चरणमां सात अक्षर होतां यमक आवे. वर्ण आठ पेले दले, बीजे तो दीजे सात For Private And Personal Use Only

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