________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ઉછર્ટ रणपिंगळ.
समवृत्त. निर्दोष उदाहरण. १ पांच नव तेर अने, चार चार चडतांनी,
पाछळ होय जो शब्द, एक वर्ण आवतो; २ ते लघु के गुरु होय, तोय तेनो दोष नहि,
उलटो जणाय ए तो, कवि मन भावतो; ३ पण जो ते शब्दमाह, वधु वर्ण होय तो तो,
लघु लागे कर्णप्रिय, कवित शोभावतो; ४ षट दश चौद अने, ते पछी अढार बावी
छविश ने त्रीश एम, लघु कवि लावतो.
आना प्रथम चरणमां “तेर" ए शब्द अंतर्गत "र" लघु छे. अने तेर वर्ण पछी "चडतानी" शब्द छे ते "च" लघुथी प्रारंभायलो छे. प्रथम चरणना उत्तरार्द्धमा “पाछळ" शब्द अंतर्गत १८मो वर्ण “छ" लघु छे अने बावीशमो वर्ण "जो" परिपूर्ण एकज वर्णनो एक शब्द छे तेथी ते गुरु छे तोपण तेनो बाध नथी. ए प्रमाणे बीजार्नु पण अंक उपरथी समजी लेवं.
दूषितर्नु उदाहरण. " मेघ बरसैं बीर बडी बडी हैं बुंद लखो" इत्यादि. एमां पांचमा अक्षर पछी “बीर” शब्दनो आरंभ गुरुथी थायछे, तेथी गति दूषित थायछे. एज प्रमाणे ९, १३ इत्यादि वर्णोनी पछी पण समजी लेवु.
नियम चोथो, २, ६, १०, १४, १८, २२ अने २६ वर्णो पछी जे शब्द
For Private And Personal Use Only