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संकीर्ण.
वर्णमेळ.
पे'ले पाद म सा ज भा ग गा कवि! आणो, स न जा र ग पद छे द्वितीय नाणो; न न स चरण तृतीये, न न न ज य प्रचुपित उपस्थित चोथे.
मंदारमरंदचंपू प्रमाणे.
[१. म स ज भ ग ग=१४ रूप. ३, ४ १७ १४७ प्रवद्धमान, २. स न ज र ग =१३ रूप. १,४०४ वर्तमान. । ३. न न स न न स == १ ८रूप. १,३०,८१६
( ४. न न न ज य =१५ रूप. ७,१६८ मासा ज्भा ग ग वर्द्धमानमा प्रथमे छे, सन जा र ग चरणे बोजे करेछे; न नसन न स गण आ अनल पद कवि करे,
त्रिन पर ज य प्रवरधमान चतुर्थे. १४८ शुद्धविराटऋ- १. म स ज भ ग ग=१४ रूप. ३,४१७
षभ, शुद्ध वि- २. सनजरग =१३ रूप. १,४०४ राषभ, शुद्ध । ३. त जर = ९ रवोन्मुखी. ३८१ विराडाभ. (४. न न न ज य =१५ रूप. ७,१६८
पेहेले चरणे म सा ज भा ग ग कीजे, स न जा रे ग कवि! आण पाद बीजे; ता जा र तृतीय पाद दे,
न न न ज य श्रुति चरण शुद्धविराटे. वृत्तरत्नाकरनी नारायणमट्टी टीकामां लखेछे के पेहेलाज पादने अतै थति मानी बाकीनां त्रणे पादो साथे बोलाय तो आर्षभ एवं नाम पडे अने प्रत्येक चरणने अंते यति रखाय तो शुद्धविराडषभ थाय. एम यतिना भेद भी वे नाम पडछे एम केटलाक केहेछे.
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