Book Title: Ranpingal  Part 01
Author(s): Ranchodbhai Udayram
Publisher: Kutchh Darbari Mudrayantra

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Page 700
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra संकीर्ण. १७७ उदक्. वर्ण मेळ. ( १. न भ स ज ग = १३ विरोधिनी. ६८१ २. स नजर = १२ ७३४ ३. तन र ल ग = ११ ६०२ ४. भ न ज र = १२ अविरलरतिका. ७३५ न भ स जाग उदक आदिमां धरो, स न जा र कवि ! द्वितीयमां करो; त्रीजे त न र लगा रचायछे, भान जर चरण तुर्य थाय छे. www.kobatirth.org १७८ संकलि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १. न ज ज य = १२ २. भ भ भगंग = ११ ३. न न स सग=१३ ४. भनजय = १२ प्रथम पदे न ज जा य रचावो, १७९ दरदपूर. विरला. नीला. 3 भात्रि द्वितीय पदे ग ग लावो; तृतीय चरण द्विन सास ग जाणो, संकलि चतुर भ ना न य आणो. तामरस. दोधक. चंडी. ६९९ ५८० ८२५ पथिकान्ता. ७०९ For Private And Personal Use Only ५१९ ७६८ १. न न स ल ग = ११ रूप. २. स भ न र = १२ उपलेखा. ७४२ ३. न ज भ ज ग - १३ रूप. ४. तन र न ग ग = १४ रूप. प्रथम न न स ल ग आणजो, पद बीजे स भ न र प्रमाणजो; तृतीय पदे न जा भ ज ग जाणजो, ता ता र दरदपूरमां न ग ग चोथे, २,९९२ ३,७७३

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