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संकर्णि
वर्णमेळ.
( १. स ज ज भर=१५ मणिहंस, अंक १,०३० .)२. त भ र सलग-१४ अलकालिका. अंक९६७
३. भ ज ज भ र=१५ मयूबदना. अंक १,०३१ (४. न स स ज जग-१६. तरवारिका. अंक १,०८४ प्रथमे तमे स ज जा भरा गण आणजो, बीजे पदे त भ रा स ला ग खरे सजो; सज्जन तृतीय पदे भ जा ज भ रा धरो, मृदव श्रुतिमां न स सा ज जा ग पदे करो.
(१. न भ भ र य=१५ रूप ५,३०४ १. १९० कलंबडंबर.
२. सभ स ज र ग-१६ रूप १०,९९६ ) ३. न न र ज र ग=१६ रूप १०,९४४
(३. म न ज र य ग-१६ रूप ५,४९७ प्रथममां न भ भा र य सद्य तो धरेछे, स भ सा जा र ग कवि तो द्वितीयमां करछे; न न र ज र ग ए त्रोंजे कलंक्डंबरे छे,
चोथे पाद म न ज रा य गा सदाय रहेछे. ( १. म स त य भ म =७+६+६=१८ रूप: २५,३६९ ए)२.तन त य म स ग ग-+५+७=२०, १,२३,७०९
) ३. त न म स भ स गग-८+१+१=२.०, १,२४,४७७
(४. तज जन स न यग-(+७+७=२१,,५,०७,७५७ पले पाद म सा ता, या भ म साते, पांच छए. छेदो, बीजे त न त य भा सा, ग ग आठे ने, शर मुनि छे छेदो;
आठे शर मुनि ता ना, मा सः भः सा ग्गा, मनसुखमां त्रीजे, चोथे त ज जा न स ना, य ग वसु मुनि ने, मुनि यति तो कीजे. मारा परम मित्र मनसुखराम सूर्यरामना नामर्नु आ वृत्त नवु कल्प्यु छ,
मनसुख.
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