Book Title: Ranpingal  Part 01
Author(s): Ranchodbhai Udayram
Publisher: Kutchh Darbari Mudrayantra

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Page 707
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२६ रणपिंगळ, विषमवृत्त. [१. म भ ज य=१२ कुम्भोदनी. ७०० १९५ नयनपाली. २ २. त भ ज य=१२ नीरान्तिक.७०२ ३. न भ ज य=१२ द्रुतपद. ७०४ । ४. न ज भ य =१२ वनमालिका.७१० पे'ले पादे म भ ज या गण आणो, बीजे पदे त भ ज या ठिक जाणो; नयनपाली न भ जा य त्रीजे छे, न ज भ य तुर्य पाद कवि के छे. ( १. स स स स ग=१३ तारक. ८२२ .) २. स ज स स ग=१३ कलहंस. ८२३ १९६ मंजिष्ठा. ar.) ३. स ज स ज ग=१३ मंजुभाषिणी. ८५८ (४. म न ज र ग=१३ महर्षिणी. ८१६ चरणे प्रथमे स स सा स ग कीजे, स ज सा स गा कर सदा पद बीजे; स ज सा ज गा कवि पदे त्रीजे कथे, मंजिष्ठा चरण म ना ज रा ग चोथे. (१. न त त त ग-१३ परिवृद. ८४० १९७ प्रवालान्तक. २. भजत त ग=१३ वामवदना. ८४ १ । ३. जतत त ग-१३ प्रवाहिका. ८३८ (४. त त त त ग=१३ पारावृत्त. ८३७ प्रथम पादे रचेछे न ता ता त गा, छे पद द्वितीयमांहे भ जा ता त गा; त्रोजे प्रवालान्तिके छ ज ता ता त गा, आणो तमे पाद चोथे त ता ता त गा. For Private And Personal Use Only

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