Book Title: Ranpingal  Part 01
Author(s): Ranchodbhai Udayram
Publisher: Kutchh Darbari Mudrayantra

View full book text
Previous | Next

Page 699
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५१८ रणपिंगळ. विषमवृत्त. wwwmmmmmmm ( १. न न म स ग=१३ विधुरवितान.८३४ २. भ स न य =१२ अर्पितमदना.७१२ १७४ मानमुखी. ३. न य न य =१२ कुसुमविचित्रा.७१.१ ४. भ त न ग ग%११ अनुकूला. ५८६ न न भ स ग बंधां पद प्रथमे छे, मा से न य द्वितीय पद धरेछे; न य न य त्रीने चरण करेछे, मानमुखी भा न ग ग युगे छे. ( १. म भ न ल ग= ११ भ्रमरविलसिता. ६३५ २. स त न स =१२ रसिकपरिचिता. ७७० १० .१३. न य न नग=१३ मदनजवनिका. ८८t (४. भ त न स-१२ वीरणमाला. ७७१ पे'ले पादे म भ न ल ग धरो, पदं बीजे सा त न स कवि! करो; मतभृगु त्रीजे न य न न ग पदे, तुर्य पदे भा त न सगण वदे. (१. न भ ज य=१२ द्रुतपद. ७०४ १७६ भुवनविरति. २. र न भ ग ग-११ स्वागता. ५८२ । ३. जनज य =१२ उपधान. ७०८ ( ४. न न स स ग-१३ चंडी.. ८२५ प्रथम पाद न भ जा य धरेछे, रा न भा ग ग द्वितीय पदे छे; जना ज य पद रचो कवि! त्रीने, भुवनविरति न न सा स ग चोथे, For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723