Book Title: Ranpingal  Part 01
Author(s): Ranchodbhai Udayram
Publisher: Kutchh Darbari Mudrayantra

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Page 698
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संकीर्ण. वर्णमेळ. [१. ४ रगण=१२ स्रग्विणी. अंक ७१७ १७१ सुरद्रु. | २.३य+लग-११ भुजंगी, कर्ण. अंक १९० । ३.४ य गण=१२ भुजंगप्रयात. अंक ६७५. ( ४.३त+२ग=११ प्राकारबंध. अंक ५५९ आदिना पादमां चार रा तो वदे, त्रि या छे ल गा छे, द्वितीये पदे य तो चार त्रीने सुरद्रु पदे छे, चोथे त्रिता ने द्वि गा माप देखें: [ १. स ज स स=१२ प्रमिताक्षराः अंक ७५४ २.तभजल ग=११ जिलाशया. अंक ६२४ १७२ अत्सरु. । ३. भजस स=१२ नीलभिरिका. अंक ७५६ (४. ज ज सस=१२ विकत्थन. अंक ७५५ स ज सा स अत्सरु विषे प्रथमे, बीजे त भा ज ल ग थाय क्रमे; भा ज स स छे गण तृतीय पदे, ज जा स स तुर्य पदमांह वदे. [१. भ भ म भ=१२ मादक. ७८९ २. ज ज ज ज=१२ मौक्तिकदाम.७८६ १७३ छेकवती.२ । ३. स स स स १२ तोटक. ७५३ 1. भ भ भग ग=११ दोधक, बंधु. ५८० भा भ भ भा थकी छेकवती कर, ज जा ज ज पाद बीजे कवि! धार; स स सा स त्रौजे पद आण सदा, भा भ भ गा ग बने पद चोथे. For Private And Personal Use Only

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