Book Title: Ranpingal  Part 01
Author(s): Ranchodbhai Udayram
Publisher: Kutchh Darbari Mudrayantra

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Page 691
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रणपिंगळे. विषमवृत्त. १. त र ले ग=८ नाराचिका. अंक २९४ १४९ नगोनिता. २. जर ल ग=८ प्रमाणिका. अंक २९५ )३. र ज ग=७ चामर. अंक १६९ । ४. जर ल ग% प्रमाणिका. अंक २९५ तारा नगोनिता लगा, बोजा विषे जरा ल गा; राज गा त्रौजे धरो, जरा लगा युगे करो. ( १. न य स = ९ सारंगिका. अंक ३९३ १५० परार्थिनी, २. ज त भ ग=१० रूप ४२२ वरार्थिनी.) ३. भ म स = ९ मणिबंध. अंक ३९२ (४. त ज र ग ग=११ रूप १७३ प्रथम न या सा करजो, बोजे न ता भा ग तो धरजो; भा म स त्रीने पाद धरो, ना जा र ग गा परार्थिनी चोथे. ( १. त ज र = ९ रवोन्मुखी. ३८१ २. म स ज ग =१० विराट. १५१ नगोपमा.) ३. त ज र ९ रवोन्मुखी. ३८१ ( ४. स भर ल ग-११ सीधु. पेले त ज रा बने खरे, बीजे मा स ज गा पदे धरे त्रीजे त जरा तमे करो, स भ रा ला ग नगोपमा धरो. (१. त ज र = ९ रवोन्मुखी. ३८१ २२. म स ज ग=१० शुद्धविराट. ४६६ १५२ अगाधिका. ३. स स ज ग=१० सहजाः ४६८ १४. म स ज ग=१० शुद्धविराट. ४६६ For Private And Personal Use Only

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