Book Title: Ranpingal  Part 01
Author(s): Ranchodbhai Udayram
Publisher: Kutchh Darbari Mudrayantra

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Page 689
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५०८ रणपिंगळ. विषमत. www.mmmmmmmmmmmmmmmmmmmar प्रथमे स जा न ग कहिजे, न स ज ग धरो प्रदे बीजे; भा न ज ल ग पंद मांह त्रीजे, . स ज सा ज्य तुर्य अपरोद्गता कोजे. १. स ज भ ग=१० प्रवादपदा. अंक.४८६ १४४ अपरोद्गता. २. भ स ज ग=१० कुप्य. अंक ४७० ३.जभजल ग%११ शल्कशकल.अंक ६२२ । ४.र जस जग=१३ मंजुमालती. अंक(५७ प्रथमे गणो स जा भ ग छे, भा स ज ग द्वितीय पाद छे; ज भा ज ला ग पद थाय त्रीजे, राज सा ज छे ग अपरोद्गता युगे. (१. स भ स ल = १० रसभूम. ५०९ १४५ अपरोद्गता.) २. न न ज ग = १० चितिभृत. ४७९ (बीजी) )३. भ ज ज ल ग=११ शल्कशकल. ६२२ (४. स ज स ज ग-१३ मंजुभाषिणी. ८५८ स भ सा ला प्रथम रचाय, न न ज ग पद द्वितीय छे भा ज ज ल गा अनले कवि छे, अपरोद्गता स ज स जा ग तुर्य छै. उपस्थित प्रचुपित. १. म स ज भ ग ग=१४ रूप ३,४ १७ १५६ उपस्थित- २. स न ज र ग =१३ रूप १,४०४ प्रचुपित. । ३. न न स = ९ मदनक. ४०४ (१. न न न ज य =१५ रूप ७,१६८ For Private And Personal Use Only

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