Book Title: Ranpingal  Part 01
Author(s): Ranchodbhai Udayram
Publisher: Kutchh Darbari Mudrayantra

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Page 694
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संकीर्ण. वर्णमेळ. छे द्वितीये पद भा भ भ गा; तृतीय पाद न भा भ ग छे, मंचमतिका भ जा ता ग छे. ( १. न न न ल ग%११ दमनक. अंक ६३७ १५९ शर्मः २ २. न ज न ग=१० त्वरितगति,अमृतगति. ४९६ ) ३. भ भ स = ९ प्रियतिलका. अंक ४०० (४. भन न ग=१० कृतमणिता. अंक ४९८ प्रथम चरण न न न ल गा, चरण द्वितीय न मम गा छे तृतीये भ भ स. खरे, शर्म युग भ न न ग करे. (१. स स ज ग=१० सहजा. अंक ४६८ १६० चिरकरका. ...)२. सभरल ग=११ सीधु. अंक ५९९ ) ३. त ज र == ९ रवोन्मुखी.अंक ३८१ (४. न ज जर-१२ मालती. अंक ७३१ प्रथमे स स जा ग थायछे, द्वितीये सा भ र ला ग गायछे। त्रीने त ज रा तमे धरो, चिरकरका म ज जा र थी करो. ( १. न न र ल ग=११ सुभाद्रिका. ६०३ २. स भ र ल ग =११ सीधु. ५९९ १६१ माणित्थक.) ३. स स ज ग =१० सहजा. ४६८ (४. म स ज ग =१० विराट, ४६६ प्रथम न न र ला ग तो कि, स भ रा ला ग मणित्यके बीजे; . For Private And Personal Use Only

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