Book Title: Ranpingal  Part 01
Author(s): Ranchodbhai Udayram
Publisher: Kutchh Darbari Mudrayantra

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Page 693
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ५१२ रणपिंगळ. प्रथम पदे न ज न ग छे, २ उदया नेत्र स भ स छे; www.kobatirth.org तृतीय चरण न न न ल गा, चोथे वर्ण दश म न न गा. १५७ सौराङ्गी. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १. स स ज ग = १० सहजा अंक ४६८ १५६ नालीका. २. सभरल ग=११ सीधु. अंक १९९ ३. त ज र = ९ रवोन्मुखी. अंक ३८१ ( ४. मसजग = १० विराट अंक ४६६ प्रथमे स स जाग नालीका, स भराला ग द्वितीय छे कोका ! त्री त ज रा तमे करो, चोथे पाद म सा जगा घरो. १५८ मक्षुमतिका. "" " ४६८ ४६६ १. स स ज ग = १० सहजा. अंक ४६८ २. स भ र ल ग = ११ सीधु. ५९९ ३. स स ज ग = १० सहजा. ४. म स ज ग - १० विराट. प्रथमे स स जाग थाय रे, पद बीजे स भ रा लगा धरे; तृतीये स स जाग कार छे, सौराङ्गी म स ज ग चार छे. विषमवृत्त. १. न ज ज ल ग = ११ सुमुखी. २. भ भ भ ग = १० ३. न भ भ ग = १० ४. भ ज त ग = १० प्रथम पदे न ज जा लघु गा, For Private And Personal Use Only ?? ६२३ विश्वमुखी. ४०९ शरत. ४९१ खेटक. ४१९

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