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रणपिंगळ.
विषमवृत्त
तृतीये चरणे स साज गा, चोथे पाद करो म सा ज गा. ( १. स स ज ग=१० सहना. ४६८
)२. म स ज ग=१० विराट,शुद्धविराट.४६६ १६२ वैतालीक.) ३. न न र ल ग=११ सुभाद्रिका. ६०३
(४. स भ र ल ग=११ सीधु. . ५९९ प्रथमे स स जाए तो कीजे, वैतालीक म सा ज गा बौने तृतीय चरण ना न रा ल गा, श्रुति पादे रच सा भ रा ल गा.
( १. न. न भ स =१२ रूप १,९८४ १६३ मन्देहा. २१
२, मन न ल म-११ रूप १,०१७ । ३. भ स ज ग =१० रूप ३५१ (४. म त र = ९ रूप १६१ प्रथम चरण ना न भ स धरो, मन्दहा म न न ल ग थी करो; भा स ज ग त्रीजे पदे करे, चोथे पादे मा त रा धरे.
( १. न ज य ग ग=११ वार्ताहारी.अंक ५४० १६४ कुथिनी..
२. न न स म =१२ शुद्धान्त. अंक ६६४
३. त न म ग =१० कुल. अंक ४२८ १४. स न य ग ग =११ सौधांघ्रि. अंक ५४३ प्रथम पदे न ज या गा गा छे, न न स म कर कुथिनीमां बीजे; त्रीजे चरण त ना मा गा छे
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