________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
रणपिंगळ.
अ.
स भ ने राज पछी सगा कराय असमे तो; न भ अनासववासिता रा र या समे तो.
आसववासितानुं विलोम, जुवो अंक ८३. १८,१९नां रूप. १,३,७,४३,८९,५२,४७२.
.१,३. मस+स र+र म. =१८ रणशूर. १,१५० ८७ रणोदयः
“१२,४ जम+भ भ+तय+ग.=१९ रूप, ५२,६१४ .. मा सा ने सर नी पर रामा, गणो ओज पादे आवे;
रणोदये जा मा ने भभ छ, त य अन्ते ग समे लावे. रण+उदय-रणोदय-रणछोडभाइ उदयराम एबुं नामसूचक आ वृत्त नवं कल्प्युं छे.
भैरव रागां गवायछे; तेमज लावणीने रागे पण गाइ शकायचे. ८८ कलिकाललिता. २समत यसमग ग=२० रूप२०९
।२,४ स भ त य स स १८रूप १ १ १ ४ १२ प्रथमे ने पद त्रीजे स भ ता या स भ गा गा धरजोजी; . स भ ता या स स आणो समपादे कलिकाललिता.
असंकीर्ण. १०,१०नां रूप १०,४७,५५२ थायछे.
(१,३. स स ज ग.=१० सहजा. अंक ४६८ ८९ प्रभासिता.१२,४. म स ज ग.=१० विराट,शुद्धविराट.४६६
.... विषमे स स जा ग तो गमे;
मा सा ना ग प्रभासिता समे. ९० अतैल. (१,३. ज त त ग.=१० विशालप्रभ. अंक ४५६ अतिल.(२,४. त त त ग.=१० विशालान्तिक. अंक ४५५
अतैल ओजे ज ता ता ग छे;
For Private And Personal Use Only