Book Title: Ranpingal  Part 01
Author(s): Ranchodbhai Udayram
Publisher: Kutchh Darbari Mudrayantra

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Page 678
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra असंकीर्ण. ११० अर्भकपंक्ति. १११ उलपोटा. www.kobatirth.org २,४. भ भ र य. विषमे सा भर या धरो तमे तो; अर्भकपंक्ति भ भार या समे तो. उलपोटा अंक १११ मे छे तेनुं विलोम . २ रुचिमुखी. वर्णमेळ. १, ३. स भर य. ११३ विमुखी. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १, ३. भ भ र य. २,४. स भ र य. ओज भ भा र य थायछे अयुग्मे; उलपोटा स भ रा य थाय युग्मे. अर्भक पंक्तिनुं विलोम, जुवो अंक ११०. १३,१३ नां रूप ६,७१,००,६७२ थाय छे. = १२ बधीरा. ६८१ = १२ वलभी. ६८२ १, ३. न न स स ग. = १३ चण्डी. ८२९ २, ४ . न न भ स ग . = १३ विधुरवितान. ८३४ ननस स ग रुचिमुखी विषमे तो; न न भ स ग धराय पद समेतो. विमुखीनुं विलोम अंक ११३. १, ३. न न भ स ग. = १३ विधुरवितान. ८३४ ८२५ ११४ भुजङ्गभृता. =१२ वलभी. ६८२ = १२ बधीरा. ६८१ २,४. न न स स ग. - १३ चण्डी. = ४९७ न न भ स ग अयुग्म पद मुखी छे; ननस सग सम पदे विमुखी छे. रुचिमुखीनुं विलोम अंक ११२. १, ३. स स स स ग = १३ तारक. ८२२ २,४. भ भ भ भग. - १३ कर्मठ. ८७९ विषमे रचजो स स सा सग भाई ! For Private And Personal Use Only

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