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संकर्णि
वर्णमेळ.
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( १. स ज स लै =१० रसभूम. अंक ५०९
२. न स ज ग =१० अनुचायिता.अंक ४७१ .) ३. भन ज ल ग ११ अर्थशिखा. अंक ६२७
(४. स ज स ज ग=१३ मंजुभाषिणी.अंक ८५८ प्रथमे स जा स ल धराय, न स ज ग द्वितीय पादमां; भा न ज ल ग तृतीये चरणे,
स ज सा न गा पद चतुर्थ उद्गता. छंदःशास्त्र, प्राकृत पिंगळसूत्र, वृत्तरत्नाकर, छंदोमंजरी, अने मंदारमरंदचम्पू प्रमाणे.
१ माघ अने भारवि कविनी रचनामां आवा प्रकारनी उद्गता रची छ, माटे तनी प्रकारान्तर गणना करी छे.
( १ स ज स ल =१० रसभूम. अंक ५०९
२. न स ज ग =१० अनुचायिता. ,, ४७१ १३९ सरल.
') ३. भ न ज ल ग=११ अर्थशिखा. अंक ६२७ (४. न न न ग =१० रूप प्रथमे स जा स ल धराय, न स ज ग करो बीजे पदे भा न ज ल ग तृतीये चरणे, त्रि न ग पद युग सरला. ( १. स ज स ल=१०. रसभूम. ५०९
२. न स ज ग=१० अनुचायिता. ४७१ १४० उद्गगता ) ३.भ न भ ग =१० गहना. ४९३
(४.सजस जग-१३ मंजुभाषिणी. ८५८ प्रथमे स जा स ल रचाय, न स ज ग द्वितीय उद्गता;
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