SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 686
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संकर्णि वर्णमेळ. ५०५ wwwwwwwwwwwwww AVVVVvvvvvvvv ( १. स ज स लै =१० रसभूम. अंक ५०९ २. न स ज ग =१० अनुचायिता.अंक ४७१ .) ३. भन ज ल ग ११ अर्थशिखा. अंक ६२७ (४. स ज स ज ग=१३ मंजुभाषिणी.अंक ८५८ प्रथमे स जा स ल धराय, न स ज ग द्वितीय पादमां; भा न ज ल ग तृतीये चरणे, स ज सा न गा पद चतुर्थ उद्गता. छंदःशास्त्र, प्राकृत पिंगळसूत्र, वृत्तरत्नाकर, छंदोमंजरी, अने मंदारमरंदचम्पू प्रमाणे. १ माघ अने भारवि कविनी रचनामां आवा प्रकारनी उद्गता रची छ, माटे तनी प्रकारान्तर गणना करी छे. ( १ स ज स ल =१० रसभूम. अंक ५०९ २. न स ज ग =१० अनुचायिता. ,, ४७१ १३९ सरल. ') ३. भ न ज ल ग=११ अर्थशिखा. अंक ६२७ (४. न न न ग =१० रूप प्रथमे स जा स ल धराय, न स ज ग करो बीजे पदे भा न ज ल ग तृतीये चरणे, त्रि न ग पद युग सरला. ( १. स ज स ल=१०. रसभूम. ५०९ २. न स ज ग=१० अनुचायिता. ४७१ १४० उद्गगता ) ३.भ न भ ग =१० गहना. ४९३ (४.सजस जग-१३ मंजुभाषिणी. ८५८ प्रथमे स जा स ल रचाय, न स ज ग द्वितीय उद्गता; ४३ For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy