Book Title: Ranpingal  Part 01
Author(s): Ranchodbhai Udayram
Publisher: Kutchh Darbari Mudrayantra

View full book text
Previous | Next

Page 685
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४ रणपिंगळ. विषम. ...........wwwrrrrow दश ल पर द्वि ग चरण बीजे; छ ल पर ग ग. त्रीजे, १०+८ दश वसु ल पर द्वि ग चतुरथ पद लवली कीजे. पिंगल नागना मत प्रमाणे छंदःशास्त्रमा लख्या मुजब. ( १. १० ल+२ग =१२ रूप १,०२४ १३६ अमृतधारा) २. १४ ल+२ग =१६ शिशुभरण १,०८० - मञ्जरी२.) ३. १८ ल+२ग =२० रूप २,६२,१४४ (४. ६ ल+२ग = ८ तुंग, तुंगा. २९० दश ल पर द्वि ग प्रथम आवे, द्वितीय चरण मनु ल उपर ग ग लावे; । ८+ १० वसु दश ल उपर ग ग तृतीय पद अमृतधारा, छ ल द्वि ग पद चारा. १ वृत्तरत्नाकर तथा मंदारमरंदचंपूना मत प्रमाणे. २ मंदारमरंदचंपू केहेछे के कोइ एने मंजरी केहेछे. ( १. १८ ल+२ ग =२० रूप. २,६२,१४४ १३७ अमृतधारा.)२. १० ल+२ ग=१२ रूप. १,०२४ (द्वितीय) ) ३. १४ ल+२ ग=१६ शिशुभरण.१,०८० (४.६ ल+२ ग = ८ तुंग, तुंगा. २९० ८+ १० . प्रथम चरण वसु दश ल पर ग ग अमृतधारा; दश ल द्वि ग द्वितीय पद सारा, तृतीय पद मनु ल पर द्वि ग ठिक गोठे, छ ल पर ग ग चोथे. For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723