Book Title: Ranpingal  Part 01
Author(s): Ranchodbhai Udayram
Publisher: Kutchh Darbari Mudrayantra

View full book text
Previous | Next

Page 675
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४९४ रणपिंगळ. अर्द्ध सगवृत्त. ९५ अवहित्र, (१,३. भ भ भ ग ग.= ११ दोधक. अंक ५८० अवहित्राः।२,४.स स स ल ग.=११ उपचित्र. अंक ६०६ भा भ भ गा ग धरो विषमे तो; अवहित्र स सा स ल गा युजे. अंक ९४ उपचित्र, उपचित्रानुं विलोम. १,३. त त ज ग ग.=११ इंद्रवज्रा. ५७१ (२,४, ज त ज ग ग= ११ उपेंद्रवज्रा. १७२ आख्यानकी ता त जगा ग ओजे; ज ता ज गा गा. करजो अनोजे. आना उलटाने विपरीताख्यानकी केहेछे. जुवो अंक ९७. आ अने एना पछीनो भेद उपजातिनी अंदर आवी शकेछे, तो पण ते विशेष नाम वताववाने अहि ग्रहण करवामां आव्या छे. ९७ विपरीतारख्याकी १,३.जत जगग:=११ उपेंद्रवज्रा.९७२ । २,४.त त जग ग.=११ इंद्रवज्रा. ५७१ विलोम आख्यानकीन प्रमाणो; आख्यानकी ए विपरीत जाणो. आख्यानकी, विलोम, जुयो अंक ९६. १,३. र म र ल ग. =११. रथोद्धता. ६०० (२,४. र न भ ग ग, =११ स्वागता. १८२ ओजमां र न र ला ग सारिका; युग्ममा र न भ गा ग धरेछे. कर्णिनी अंक ९९मे छे तेनुं विलोम. १,३. र न भ ग ग. = ११ स्वागता. ५८२ १२,४. र न र ल ग.=११ स्थोद्धता. ६०० कर्णिनी विषम रा न भ गा गे; आणजो र न र ला ग युग्ममां. सारिका अंक ९८में छे, तेनुं विलोम. For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723