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रणपिंगळ.
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समवृत्त,
रारा रा धरी लावजो पाद सानंदमां बेन ने उपरे बत्राशे राधा एम सौ एक सो बे करो अक्षरो पादपादे तमे प्रेम आणी पछी गाइ ल्यो गुण आ दंडके दीनआधारना दुःखीना बंधुना: १०५ वर्णना दंडक.
१५४६ संदोह.
२ न + ३३ र= १०५ वर्ण:
नंनर ररर रार रारा रारा राररा रारा रारा रार राररा रारा रार आणी करो कुल वे ना गणो ने वळी रा गणो तेत्रिशे तोरो एम सौ अक्षरो एक सो पांच संदोहने पादपादे गणी आणजो ते विषे गुण गोविंदना गुंथजो जे थको चित्त चोखुं थशे साम: १०८ वर्णना दंडक.
१५४७ नंद.
२ न + ३४२ = १०८ वर्ण.
ननर ररर राररा रार राररा रारराराररा राररा राररा रारा राररा रारंश एम आण्या थकी नंद नामे बने दंडके बेन ने त्रीश ने चार तो रा गणो सामटा तेता अक्षरो एक सोने पछी आठ तो थायछे पादपादे बधा गोठता. घाटमां आवता रागमां बेसता आणजो.
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