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रणपिंगठ.
समवृत्त
८१ वर्णना दंडक. १९३८ मंदार.
२ न+२५ र=८१ वर्ण. ननर ररर रारराराररा राररा राररा राररा राररा राररा आणिने सौ मळी बेन ने वीश ने पांच रा लावजो आप मंदारमां ते पछी एहमां भक्तिना भावथी गुण माजो तमे सर्वव्यापी प्रभुना सदा प्रेमथी.
८४ वर्णना दंडक. १५३९ केदार. . २ न+२६ र ८४ वर्ण. ननर ररर राररा राररा राररा राररा रारस राररा राररा रा थई बे न ने ते परे रा धरो सर्व छठवीश तो जे थकी अक्षरो अॅशिने चार सौ थायछे पाद एकेकमां एम केदार जोडायछे ते तमे जुक्तिथी जाणजो.
८७ वर्णना दंडक. १९४० साधार. २ न+२७ र ८७ वर्ण.
ननर ररर राररा राररा राररा राररा राररा राररा राररा रार साधार छे आ.रौते बेन ने वीश ने सात रा तेहना अक्षरो एंशि ने सात तो थायछे पादमां तेहमां गायछे गुण गोविंदना के कवि भक्तिना भाववाको खरो.
९० वर्णना दंडक. १५४१ सत्कार.
२ न+२८ र ९० वर्ण. ननर ररर राररा राररा राररा रारा राररा राररा राररा राररा लावतां आम सत्कारमा बे न ने वीश ने आठ रा थायछे तेतणा अक्षरो नेवु तो थायछे पाद एकेकमां एम आ दंडके आप आणी पछी गुंथजो काव्य तेमां तमे.
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