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संकीर्ण.
वर्णमेळ.
छे ते आनां विषम पद थयां छे, आ प्रमाणे उलटासुलटी थाय ते विलोम केहेवायछे. वैसारीनुं विलोम जुवो अंक ३.
१०,११ना रूप २०,९७,१५२ थायछे. ५ भद्रविराट, (१,३. त ज र ग़.=१० नमेरु. .. ४४० समुद्रकान्ता..२,४. म स ज ग ग.११. विश्वविराट. १६३
छे भद्रविराट ता ज रागे;
युग्मे मा स ज गा ग ठीक लागे. कान्ता, युद्धविराटनुं विलोम, जुवो अंक १७. वैतालिय प्रकरणमा औपच्छदासिक, पाछळ पृ. २१४ मे जुवो. तेमां ६ अने ८ मात्रा अनुक्रमे जणावी छे, तेने बदले आहे गण नकी कया छे एटलोज फेर छे.
(१,३. स ज स ग. = १० रूप २३६ ६ केतुमती. २
। २,४. भ र नग ग. = ११ रूप ४७१
धरजो स जा स ग अयुग्मे; केतुमती भ रा न ग ग युग्मे.
विलोमे केतु. जुवो अंक १८. ७ सुंदरी, सुरमालिका, (१.३. स स ज ग.=१० सहजा.४६८ कमला, वियोगिनी.१२,४. सभ र ल ग.=११ सीधु. ५९९
विषमे स स जा ग सुंदरी
कमला सा भरला गथी ठरी. १ प्राकृत पिंगळसूत्रमा केहेछे केःअयुजो यदि सौ लगौ। पुनः
समायोःस्भौ रलगाश्च सुन्दरी. . १ एमां लगो छे त्यां जगी जोइये. तेमज छंदोमंजरीमा छे कै:--
अयुजो यहिं सौ जगौ युजो
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