________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
वर्णदण्डक.
वर्णमेळ.
१४७० वीजकर्षा, विद्युत्कर्षा' भज+तन+सनन+स+र+ग
=२८ वर्ण
www.kobatirth.org
१४७१ शोभनमणि. १
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भाज पर तान, सानान पर सगण छे' रगण पर चरम गा वीजकर्षा.
आनी पण मात्रा ३७ छे, एटले झूलणा (प्रभात) रागमां गवाय छे. आना प्रत्येक पादना पूर्वार्द्धमा छ नव, नव छ, सात आठ, के आठ सातना कडकाथी १५ वर्ण अने उत्तरार्द्धमां ९+४ = १३ वर्ण आणवाथी लय ठीक सचवाशे.
१. छंद मालिका प्रमाणे. ( आ दंडक आटलं छपाया बाद मळी? आवतां अहिं दाखल कस्यो छे ते २८ वर्णना पेटामां गणवो.)
३० वर्णना दंडक.
१४७२ नीलचक्र.
शर५ न पर रगण धर, नतभ गण ते पछी यगण पादान्त, शोभनमणीमां..
- १४७३ खंज.
४३५
५न+र+नतभ+य=३० वर्ष.:
आ दंडकनी पण मात्रा ३७ थायछे एटले ते झूलणा (प्रभात) रागमां गवायछे एना प्रत्येक पादना पूर्वार्द्धमा १०+ ८ = १८ वर्ण, अने उत्तरार्द्धमां ६+६= १२ अथवा ९+७ अने तेथी उलटा एम १२ वर्ण मूकवाथी लय ठीक सचवाशे.. १ छेदमालिका प्रमाणे.
५ रज - ३०
राज पांच थायछे बधाय पाद पादमां सदाय नीलचक्रमांह वर्ण
1
श्रीश भाई!
९ नगण+ र = ३० वर्ण..
नव नगण कविवर ! कर तरत पछी उपर घर रगण चरण- खंजमां.
For Private And Personal Use Only
वर्ण.